उत्तर प्रदेशबस्तीसिद्धार्थनगर 

बगैर ऋण दिए ईएमआई वसूली पड़ी महंगी, उपभोक्ता को ₹1.10 लाख क्षतिपूर्ति देने का आदेश

अजीत मिश्रा (खोजी)

।। बगैर ऋण दिए ईएमआई वसूली पड़ी महंगी, उपभोक्ता को ₹1.10 लाख क्षतिपूर्ति देने का आदेश।।

📌 उपभोक्ता आयोग ने चोलामंडलम फाइनेंस कंपनी को दोषी माना।

📌 60 दिन में अदा करें क्षतिपूर्ति, ऋण धनराशि वापस लेकर दें अदेयता प्रमाण पत्र।

संतकबीरनगर 24 जून 2025। उत्तर प्रदेश के जनपद संत कबीर नगर के खलीलाबाद में चोलामंडलम फाइनेंस कंपनी द्वारा बिना ऋण की राशि दिए ग्राहक के खाते से ईएमआई काटना महंगा पड़ गया। जिला उपभोक्ता आयोग ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए कंपनी के ब्रांच क्रेडिट मैनेजर सहित तीन लोगों‌ को दोषी करार देते हुए 60 दिन के भीतर ₹1,10,000 क्षतिपूर्ति अदा करने और ₹6.43 लाख* की ऋण धनराशि वापस।लेकर अदेयता प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश दिया है।

यह मामला मेंहदावल तहसील के अव्वल केवटलिया गांव निवासी दिव्यांग अखिलेश कुमार का है। उन्होंने अद्विक लीगल कंसल्टेंसी के माध्यम से उपभोक्ता फोरम में वाद दाखिल कर बताया कि उन्होंने रोजगार के लिए ₹7 लाख ऋण लेने हेतु कंपनी के प्रतिनिधियों सत्यव्रत पांडेय और ज्ञानदेव पांडेय से संपर्क किया था। कर्ज की प्रक्रिया में मदद के नाम पर उनसे ₹27,500 लिए गए, लेकिन दो महीने तक ऋण की कोई राशि उनके खाते में नहीं आई।

इस बीच भारतीय स्टेट बैंक शाखा मेंहदावल में मौजूद उनके बचत खाते (₹12,040 शेष) से ईएमआई की पहली किश्त कंपनी ने काट ली । आगे की किश्तों को बाउंस दिखाकर उन पर अतिरिक्त प्रभार जोड़ दिया गया और रिकवरी एजेंटों द्वारा अपशब्दों और दबाव के माध्यम से वसूली की कोशिश की गई।

अखिलेश कुमार की शिकायत के बावजूद कंपनी ने कोई सुनवाई नहीं की। दो महीने बाद खाते में ₹ 6,43,162 भेजा गया, जिसे उन्होंने लेने से मना कर दिया, लेकिन फिर भी मासिक किश्त की कटौती जारी रही।

उपभोक्ता आयोग ने इस पूरी प्रक्रिया को गलत और अनुचित व्यापार आचरण मानते हुए कंपनी को आदेशित किया है कि वह ऋण राशि वापस लेकर अदेयता प्रमाण पत्र जारी करे और मानसिक, आर्थिक क्षति हेतु ₹1.10 लाख का भुगतान करे।

यह निर्णय उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा और वित्तीय संस्थाओं की जवाबदेही तय करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

 बिना ऋण दिए ईएमआई वसूली पड़ी महंगी। उपभोक्ता को मिला न्याय। चोलामंडलम फाइनेंस को झटका। उपभोक्ता आयोग का निर्णय। ₹ 1 लाख 10 हजार की क्षतिपूर्ति का‌आदेश। दोषी अधिकारियोंकोसजा।

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